सूचना - समय सारणी
चालीस दिवसीय आज़ाद भारत विधिक वैचारिक क्रांति भभ्य सन्देश यात्रा का शुभारम्भ 15-12-2014 को लखनऊ अमौसी हवाई अड्डे से होगा
आज़ाद भारत द्वारा शुरू किया गया आज़ाद भारत विधिक क्रांति अभियान सिर्फ अख़बारों में फोटो तक नहीं सिमटना चाहिए क्यों की इसके पहले किसी भी संगठन ने इस तरह से सभी भारतवासियों के समक्ष नेताजी के फार्मूले का विश्लेषण कर उनके जीवन को आर्थिक रूप से स्वतंत्र कराने का आह्वान नहीं किया है इसलिए नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के सम्मान में विशेष ख्याल रखा जाना चाहिए इस तरह इस आज़ाद हिन्द बैंक करेंसी से लेन- देन कर एक स्वस्थ भारत बनाया जा सकता है। - आज़ाद भारत
ब्रिटेन ने भारत को जो क्षति पहुंचाई है उसका हिसाब लगा पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुकिन है इसलिए अब पन्नें पर किसी भी प्रकार का सुधार ह्वाइटनर लगा कर नहीं किया जा सकता है यह मुमकिन तभी है की पन्ने को पलट कर नए सिरे से शुरुआत की जाये और प्रकृति इस काम को करने के लिए तैयार है खड़ी है।
भले ही सरकार इस आर्थिक तंगी को रोकने के लिए कोई भी कदम उठा रही हो लेकिन सच तो ये है की कभी ये सफल नहीं हो सकते। 1947 में रुपये की कीमत एक डॉलर के बराबर थी और आज कितनी है ये आप लोगों को बताने की जरुरत नहीं है। किसने कहा महगाई है अगर इसे कोई महगाई कहता है तो आपको समझ लेना चाहिए वो निर्बोध है या तो ब्रिटेन का कार्यकर्त्ता है। हम बार- बार आपको सावधान कर रहे हैं की हमारी भारतीय करेंसी आज़ाद हिन्द बैंक करेंसी है जिसकी खरीदने की छमता का मूल्याङ्कन सोने से की जाती है और यह विधि निर्धारित है।
हो रहा खात्मा गफलतों का,
जो गिरा वो संभलने लगा है।
हाँथ मलने लगा सदरे- महफ़िल,
आज़ाद भारत बदलने लगा है। I
भीड़ उमड़ी इधर से उधर तक,
खौफ पैदा किये है जेहन में।
शक्ल लेगी नई भोर कैसी,
कुछ कहा कुछ सुना जा रहा है। I
हौसलों की तनी मुट्ठियाँ हैं,
जाल ऐसा बुना जा रहा है।
देख कर रैलियों के तमाशे,
त्योरियाँ चढ़ गई बस्तियों की। I
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प्रिय
मित्रों,
सूचनाकी घोर अवमानना शासन -प्रशासन करती हुई जब की रुल आफ लॉ के साथ गतिशील ''आज़ाद
भारत'' के क्रन्तिकारी विधिक मांगकर
रहे हैं और हमारे सभी फेसबुक मित्रों को लगातार यू ट्यूब के जरिये ये सन्देश दिया जा रहा है की मीसा बंदी रहे बेड़ी वाले बाबा जयगुरुदेव की बाड़ी का सत्यापन और उनका फिजिकल वेरिफिकेशन दें क्यों की हमारे भारत में क़ानून का शासन है था और रहेगा - व्यक्ति का नहीं हमारी भारतीय करेंसी आज़ाद हिन्द बैंक करेंसी अपनी भारतीय करेंसी है तथा एक रुपये में साठ लीटर डीजल और एक रुपये में चालीस लीटर पेट्रोल है जिसका
प्रमाण है ''आज़ाद हिन्द बैंक'' जिसका फार्मूला है -''Determination not to borrow loans as it may destroy the economic
future of the country’’
आर्थिक आजादी बचाओ आन्दोलन - भारत
का एक सामाजिक-आर्थिक आन्दोलन है। यह ''आज़ाद भारत'' हमारे भारत में रिजर्ब बैंक आफ इण्डिया द्वारा संचालित ब्रिटिश
इण्डिया गवर्मेंट के रुपये का बहिष्कार करता है । इसके अलावा भारत में हमारे देश के महान सेना नायक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नक्से कदम
पर चल रहे इस राष्ट्रीय आंदोलन का एक लक्ष्य आर्थिक आज़ादी का एक विकल्प आज़ाद हिन्द
बैंक करेंसी से लेन- देन और ब्रिटेन द्वारा की गयी अक्ल की चीटिंग, दुष्प्रभावों के प्रति भी लोगों को सचेत करता है ।ये जो आपके पाकेट में रिजर्व बैंक ऑफ
इंडिया की
करेंसी है
ये ब्रिटिश इंडिया गवर्मेंट की करेंसी है क्यों की इसका
रिकार्ड हमारे सरकार के
पास नहीं
है .भारतीय रिजर्व बैंक
ने ये
लिख कर
दे दिया
है की
आपके द्वारा मांगी गयी
सूचना का
हमारे पास
कोई रिकार्ड नहीं है
अब आप
सब भारतीय ये बताये की ये
भारतीय रूपया है या
ब्रिटिश सरकार की रूपया है ? जिसे आप लोगों ने केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया
(RBI) मान लिया है उसके पास उसके द्वारा भारत में संचालित हो रहे इस रुपये का कोई
विधिक प्रारूप नहीं है अब आप ही बताएं ये जो रूपया चल रहा है ये भारतीय रूपया है
या ब्रिटेन का रूपया है? -आज़ाद भारत
भारतीय रुपये का मूल्य आजादी मिलने के समय 1947 में अमेरिकी डॉलर के बराबर ही था। आज डॉलर की कीमत 61.80 रुपये है। इसका अर्थ यह हुआ कि भारतीय रुपये में पिछले 66 वर्षों में डॉलर की तुलना में 62 गुना गिरावट आई है। भारतीय मुद्रा की स्थिति पिछले दो वर्षों से काफी डावांडोल है। पिछले तीन महीनों से वृद्धि, महंगाई, व्यापार और निवेश से जुड़े आंकड़ों के प्रभाव से रुपये की स्थिति अत्यधिक कमजोर हो गई है।
देश के आर्थिक नीति निर्माताओं के सामने रुपये की अस्थिरता को रोकना सबसे बड़ी चुनौती है। केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रुपये की अस्थिरता को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इन प्रयासों के बावजूद रुपया अस्थिर बना हुआ है। निकट भविष्य में रुपये की अस्थिरता दूर होने के आसार भी नहीं हैं।
स्वतंत्रता के बाद से भारतीय रुपये में लगातार गिरावट देखी जा रही है। पिछले 66 वर्षों में कई भूराजनीतिक और आर्थिक घटनाओं ने रुपये को प्रभावित किया है। भारत 15 अगस्त, 1947 को आजाद हुआ और उस समय रुपये की कीमत डॉलर के बराबर थी। देश के ऊपर उस समय कोई विदेशी कर्ज नहीं था। आजादी के बाद भारत ने जन कल्याण और विकास योजनाओं के लिए धन जुटाने की खातिर विदेशों से कर्ज लेना शुरू किया। इसके लिए रुपये के अवमूल्यन की जरूरत पड़ी।
स्वतंत्रता के बाद भारत ने फिक्स्ड रेट मुद्रा व्यवस्था चुनी। रुपये की कीमत 1948 से 1966 के बीच 4.79 रुपये प्रति डॉलर हो गई। चीन के साथ 1962 में और पाकिस्तान के साथ 1965 में हुए दो युद्धों का परिणाम यह हुआ कि भारत का बजट घाटा बढ़ गया। इससे बाध्य होकर सरकार ने रुपये का अवमूल्यन किया और डॉलर की कीमत 7.57 रुपये तय की गई।
भारतीय रुपये का संबंध 1971 में ब्रिटिश मुद्रा से खत्म कर दिया गया और उसे सीधे तौर पर अमेरिकी मुद्रा से जोड़ दिया गया। भारतीय रुपये की कीमत 1975 में तीन मुद्राओं -अमेरिकी डॉलर, जापानी येन और जर्मन मार्क- के साथ संयुक्त कर दी गई। उस समय एक डॉलर की कीमत 8.39 डॉलर थी। 1985 में रुपये की कीमत गिरकर 12 रुपये प्रति डॉलर हो गई।
भारत के सामने 1991 में भुगतान संतुलन का एक गंभीर संकट पैदा हो गया और वह अपनी मुद्रा में तीव्र गिरावट के लिए बाध्य हुआ। देश उस समय महंगाई, कम वृद्धि दर और विदेशी मुद्रा की कमी से जूझ रहा था। विदेशी मुद्रा तीन हफ्तों के आयात के लिए भी पर्याप्त नहीं थी। इन स्थितियों के तहत रुपये का अवमूल्यन करके उसकी कीमत 17.90 रुपये प्रति डॉलर तय की गई।
वर्ष 1993 भारतीय रुपये के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण है। इस वर्ष रुपये को बाजार के हिसाब से परिवर्तनीय घोषित कर दिया गया। रुपये की कीमत अब मुद्रा बाजार के हिसाब से तय होनी थी। इसके बावजूद यह प्रावधान था कि रुपये की कीमत में अत्यधिक अस्थिरता की स्थिति में भारतीय रिजर्व बैंक हस्तक्षेप करेगा। 1993 में डॉलर की कीमत 31.37 रुपये थी। तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह, जो अब प्रधानमंत्री हैं, ने रुपये को परिवर्तनीय बनाया था। उनके इस कदम से विदेशी निवेश में तेज वृद्धि हुई और आर्थिक विकास की गति बढ़ी।
रुपया 2001 से 2010 के दौरान 40 से 50 रुपये प्रति डॉलर के बीच रहा। अधिकांशत: डॉलर की कीमत 45 रुपये रही। रुपया सबसे ऊपर 2007 में रहा, जब डॉलर की कीमत 39 रुपये रही। 2008 की वैश्विक मंदी के समय से भारतीय रुपये की कीमत में गिरावट का दौर शुरू हुआ।
एक आर्थिक विशेषज्ञ और ब्रोकरेज फर्म केएएसएसए के सलाहकार सिद्धार्थ शंकर ने कहा कि भारत अत्यधिक महंगाई के साथ एक विकासशील देश है। मुद्रा का अवमूल्यन सामान्य है। रुपये का अवमूल्यन अच्छा है, लेकिन उसमें अस्थिरता ठीक नहीं है। पिछले कुछ महीनों में रुपये की कीमत में जो अत्यधिक गिरावट देखी गई है, वह ठीक नहीं है।
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2 टिप्पणियां:
azad hind bank apna bharatiya bank hai
HAME APNA BHARATIYA SIKKA CHAHIYE
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